कल सारी रात तारे खेलते रहे आसमानभर
सहर आके देखता रहा..
असीर ( कैदी ) बनता एक तारा..
सहर ने रखे थे दो पेहरेदार
एक आफताब , एक माहताब अर्ज करता रहा इकरार देता रहा
मान लो जैसे छोटा बच्चा
कान धरे खडा है कोई.. आज दूर कही आसमान में
टीमटीमाता हुआ वो तारा
नजर आता है
सहर ने मेरी दो चार राते जो गिरवी रखी है..
बस सारी जिंदगी वो राते ढुंढते कट गयी नज्म अधुरी रह गयी
सहर आके देखता रहा..
असीर ( कैदी ) बनता एक तारा..
सहर ने रखे थे दो पेहरेदार
एक आफताब , एक माहताब अर्ज करता रहा इकरार देता रहा
मान लो जैसे छोटा बच्चा
कान धरे खडा है कोई.. आज दूर कही आसमान में
टीमटीमाता हुआ वो तारा
नजर आता है
सहर ने मेरी दो चार राते जो गिरवी रखी है..
बस सारी जिंदगी वो राते ढुंढते कट गयी नज्म अधुरी रह गयी